हिंदी गज़ल :

  न मैंने ख्वाब देखा हैं न मैंने दिल लगाया हैं .........

न मैने ख्वाब देखा हैं न मैने दिल लगाया हैं
हक़ीक़त जान कर मैंने मुहब्बत को भगाया हैं

बड़ी बेकार है इसकी पकड़ तुम हात ना आना
बड़ी बेख़ौफ़ हो इसने दीवानों को ठगाया हैं

करो कोशिश रहें बचके न इसके साथ जा पाएं
बड़ी शिद्दत भरी आवाज में ये गीत गाया हैं

न जानें याद क्यों ऐसे रुलाएं जान ना पाया
बिना बारिश नहाएं जो निगाहों ने भिगाया हैं

अचानक सामने गुजरा न जाने कौन साया था
मगर जाते हुए दिल में मुहब्बत को जगाया हैं
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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बड़ी मुश्किलों से बखत है गुजारा .........

निगाहें तुम्हारी करे है इशारा
हमें लग रहा है मगर नागवारा

बड़े घाव हमनें भरे है अभी तक
नहीं चाहिये अब किसीका सहारा

भले लग रहा हो हसीं चाँद तुमको
मगर प्यार का वो नहीं है किनारा

करों तुम शिकायत खुदा से हमारी
मगर है बुरा हाल अब तक हमारा

न चाहूं मुहब्बत रहे जिंदगी में
बड़ी मुश्किलों से बखत है गुजारा
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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आज कल हालात है नासाज़ दिल के .........

ढूंढता रहता हूं मैं अल्फ़ाज़ दिल के
जाने क्यों गुम हो गए अंदाज़ दिल के

रूबरू जो हो गए हो आज मुझसे
हाल-दिल कर लो बयां नाराज दिल के

मैं तो चाहूँ जिंदगी में साथ तेरा
तुम न जाने कब बने हमराज दिल के

है इनायत ये मुहब्बत की समझलो
यूँ नहीं मिलते किसीको ताज दिल के

भूल कर गुजरा जमाना यार आजा
आज कल हालात है नासाज़ दिल के
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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दिल समझाये कभी कभी .........

रुक्सत करी जो सूरत याद आयें कभी कभी
सपनों में आकर मुझको तड़पायें कभी कभी

मुस्कान आज भी दिलमे है उनकी बसी हुई
उनकी प्यारी बाते आँख भर लायें कभी कभी

वो भूली बिसरि बातें वो हसिनसि मुलाकातें
काश उनके भी यादों में आ जायें कभी कभी

जो रख्खे है संभाले खत आज भी मैंने सारे
पढ़कर अपने भी खत वो गायें कभी कभी

खत्म करो ये किस्सा कब तक याद करेंगे
युही दिलकी बाते दिल समझायें कभी कभी
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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 मुहब्बत का हमने जाम ले लिया .........

मुहब्बत का हमने जाम ले लिया ,
जुदाई इबादत का दाम ले लिया !!

वो खुश है अकेले हो हमसे जुदा ,
तो हमने भी आखरी सलाम ले लिया !!

फरेबी मुहब्बत में वादाखिलाफी,
न जानो कोई इंतकाम ले लिया !!

कही हो न जाए रुसवा मुहब्बत,
अगर हमने उनका नाम ले लिया !!

चैन है गवाया कर उनसे मुहब्बत ,
जागती रातो का पैगाम ले लिया !!

निले आसमां में नदारत है बादल ,
यहा किसने अपना काम ले लिया !!

जी रहा हैं शशी आज भी मुस्कुराकर,
न जाने क्यों ऐसा अंजाम ले लिया !!  
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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दिल समझाये कभी कभी .........

रुक्सत करी जो सूरत याद आयें कभी कभी
सपनों में आकर मुझको तड़पायें कभी कभी

मुस्कान आज भी दिलमे है उनकी बसी हुई
उनकी प्यारी बाते आँख भर लायें कभी कभी

वो भूली बिसरि बातें वो हसिनसि मुलाकातें
काश उनके भी यादों में आ जायें कभी कभी

जो रख्खे है संभाले खत आज भी मैंने सारे
पढ़कर अपने भी खत वो गायें कभी कभी

खत्म करो ये किस्सा कब तक याद करेंगे
युही दिलकी बाते दिल समझायें कभी कभी 
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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जहाँ मैं खड़ा था .........

नजारा नशीला जहाँ मैं खड़ा था
गवारा नही लौटना मैं खड़ा था

नदी सामने बेतहाशा हसीं थी
न मंजूर वो भापना मैं खड़ा था

जरासा डरा मैं तजुर्बा न कोई
पड़ा थंड में कांपना मैं खड़ा था

सहारा न कोई अकेली जवानी
बड़ी बेवफा यातना मैं खड़ा था

शशी ने बताये फसाने वहां के
बचा जो समा ताकना मैं खड़ा था
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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याद मे ये नैन रोये यार आजा .........

याद तेरी रोज आये यार आजा
याद में ये नैन रोये यार आजा

सामने है वो नजारे लौट आने
प्यार तेरा और पाये यार आजा

राह देखे मैं खड़ा सोया नही था
ख्वाब मेरे सो न जाये यार आजा

क्यो सताये यार थोड़ा देख पिछे
आंख मेरी होश खोये यार आजा

खो रहा है ये शशी तेरे गमो में
बेखता होके मनाये यार आजा
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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समशान नजर आता है .........

जर्रा-जर्रा इस घर का समशान नजर आता है !
दर-दिवार से आंगन सुनसान नजर आता है !!

जी रहा हूँ मगर बेख़ौफ़ मैं रोज इस घर में!
देख कर आईना दिल परेशान नजर आता है !!

जाने पतझड़ सी लगे डाली क्यों खुशियों की !
रूठा रूठा सा मुझको भगवान नजर आता हैं !!

ना है कोई मंजिल और ना कुछ हासिल यहाँ !
मेरे ही घर वजूद मेरा मेहमान नजर आता है !!

गर मिला "एकांत" कभी इस घर के साये में !
तो अपना भी कोई कदरदान नजर आता है !!

रोज जीता है "शशि" क्यों डर के परछाई में !
अपनें ही जिंदगी से वो हैरान नजर आता है !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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वक्त और हालात .........

वक्त और हालात भी मजबूर होते है !
देखो जो सपने तो चकनाचूर होते है !!

दोष तो दे भी देता किस्मत को मगर !
तक़दीर के पन्ने भी बेकसूर होते है !!

दिल तो भर चूका है जिंदगी से मेरा !
अक्सर जख्म-ए-दिल नासूर होते है !!

मंजिल तो होती ही है खूबसूरत मगर !
मंजिल के रास्ते भी जरा दूर होते है !!

लढ लेता "शशि" जमाने से भी मगर !
उसके फैसले भी सबको मंजूर होते है !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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देखते है बाप से बेटा बड़ा क्या हो रहा है .........

नातवानी से फ़साना देश तेरा हो रहा है !
देख ले यारा तमाशा आज ये क्या हो रहा है !!

सोचता क्या है मसीहा कोई आयेगा वहां से !
रात देखा ख्वाब मैंने तू अकेला रो रहा है !!

ये नजारा देख कैसे आँख मूंदे बैठ जाऊ !
हाथ दोनों है बंधे से खून मेरा रो रहा है !!

नाम में है पाक तेरे काम है नापाक सारे !
ऐ पडोसी देश तेरा क्यों जनाजे ढो रहा है !!

बोलता है ये "शशी" जा आज गोले दाग दे तू !
देखते है बाप से बेटा बड़ा क्या हो रहा है !!

देखते है बाप से बेटा बड़ा क्या हो रहा है !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमनध्वनी - ९९७५९९५४५०
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कैसे कह दे की बावफा है जिंदगी .........

अब ना उम्मीद-ए-वफा है जिंदगी !
जानें क्यों मुझसे खफा है जिंदगी !!

यूँ तो शिकायत नही अब किसी से !
अपने ही वजुद से जफा है जिंदगी !!

बाँधे हमेशा झूठे सपनो के पुलिंदे !
महफिल से अपने दफा है जिंदगी !!

दिख रहे है सबको आब-ए-चश्म  !
बे जुर्म कहूँ या बेवफा है जिंदगी !!

फ़ुऱ्कत मे कटे रात दिन 'शशी' के !
कैसे कह दे की बावफा है जिंदगी !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
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रुकना चाहता हु .........

रोकले कोई अगर तो रुकना चाहता हु !
दिखे खुदा अगर तो झुकना चाहता हु !!

ख़त्म हुए महफ़िल जमाना गुजर गया !
उनकी आग़ोश में फिर उड़ना चाहता हु !!

बुझ गई शम्मा और अंधेरा छा गया !
जले दिया अगर तो बुझना चाहता हु !!

गहरा चुभा है खंजर बेवफाई का दिलमें !
मिले अगर रास्ता तो मुड़ना चाहता हु !!

तनहा नहीं "शशि" जो जी नहीं सकता !
मिले साँस अगर तो उठना चाहता हु !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
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अभी बाकी है .........

टूट चूका है दिल मगर बिखरना अभी बाकी है !
कसमो वादों के बिच बिछड़ना अभी बाकी है !!

हो गई कोई खता या खुदाई मुझसे रूठी है !
लूट चूका है दिल मगर खरीदना अभी बाकी है !!

चाहत तो नहीं अब की हो हासिल आसमां !
बादल बिक गये मगर बरसना अभी बाकी है !!

जलता है दिल हर रात याद कर के वो लम्हे !
आते लम्हों को प्यारसे संवरना अभी बाकी है !!

दिनमे रोता है "शशि" रात का क्या कहना !
ढल चूका है दिन मगर निखरना अभी बाकी है !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
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हर वक़्त तेरी इबादत थी .........

हर वक़्त तेरी इबादत थी !
गुनाहों की बस ज़मानत थी !!१

अब जाकर मुझे सुकूँ मिला !
पहले तो उनकी हुकूमत थी !!२

एक तेरी ही आहट थी !
ज्यादा कुछ न चाहत थी !!३

मेरे ख़्वाबों में बस तुम हो !
तेरी ही बस जरुरत थी !!४

किस्मत की बदमाशी थी !
तुझसे दिलको राहत थी !!५

उनके होठों पर नाम हमारा है !
पूरी हुई जो मेरी "हसरत" थी !!६

हट गई जो काली परछाई थी !
किस्मत से क्यों शिकायत थी !!७

ना ज़ाने क्यों "शशि" तड़पता था !
जाने क्यू ये इतनी "ज़हमत" थी !!८
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
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वक्त की मार .........

वक्तकी मारसे मै पनाहगार हो गया !
सपने देखकर मै गुनहगार हो गया !!

न थे मंजिल-ए-सुराग लिखे कहीपर !
दिलको अपने ही मै मदतगार हो गया !!

मोहोब्बत ही बाटी सारी उम्र हमने !
जाने मगर क्यू मै बेकरार हो गया !!

अब न कोई उम्मीद-ए-वफ़ा जिंदगी !
भरोसेमंद खंजरही आरपार हो गया !!

फकत एक आरजू 'शशि' की चाहत हो !
इकरार पर मेरे उनका इनकार हो गया !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
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सफ़र हो आसाँ .........

टूटने लगे पैमाने तकलीफ-ए-हयात के !
दिखते है छुपे आँसू सूरत-ए-नकाब के !!

फितरत न सही इंसान है तेरे अंदर ही !
डरना क्यू मनमे है खयाल-ए-ईमान के !!

भूल जाए दास्ताँ इतनी भी आसां नही !
लिखते है सपने हकीकत-ए-शबाब के !!

गुफ्तगू फकत चार लम्हे शायदही होगी !
क़त्ल हुए झेलकर हथियार-ए-गुलाब के !!

खामोश है जुबाँ यकिनन दिल रो रहा है !
समेट रहे यादे आसां सफ़र-ए-ख़्वाब के !!
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
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